मानव कौल को मैंने दूसरी बार पढ़ा है, इससे पहले ‘ ठीक तुम्हारे पीछे ‘ पढ़ी थी। इस किताब के बारे में एक लाइन में कहूँ तो ये एक ऐसी किताब है जो हर एक किशोर स्वयं की ही कथा लगेगी।। किशोरावस्था में प्रवेश करने पर कैसे मानसिक कठिनाइयों एवं उथल पुथल से गुज़र न परता है, ये किताब बखूबी बताती है। किताब के प्रारम्भ में सब कुछ काफी मजेदार और मनोरंजक होता है लेकिन धीरे धीरे ये किताब अपने मूल भाव पर पहुँचती जाती है यानी अपने शीर्षक ” शर्ट का तीसरा बटन ” पर ॥
Innerline Pass इनरलाइन पास -18 दिनों में पूरी हुई इस क़रीब 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा के रोमांचक अनुभवों का एक गुलदस्ता है ‘इनरलाइन पास’ जो आपको ख़ूबसूरती और जोख़िमों के एकदम चरम तक लेकर जाता है।
bookishreader2010 –
मानव कौल को मैंने दूसरी बार पढ़ा है, इससे पहले ‘ ठीक तुम्हारे पीछे ‘ पढ़ी थी। इस किताब के बारे में एक लाइन में कहूँ तो ये एक ऐसी किताब है जो हर एक किशोर स्वयं की ही कथा लगेगी।। किशोरावस्था में प्रवेश करने पर कैसे मानसिक कठिनाइयों एवं उथल पुथल से गुज़र न परता है, ये किताब बखूबी बताती है। किताब के प्रारम्भ में सब कुछ काफी मजेदार और मनोरंजक होता है लेकिन धीरे धीरे ये किताब अपने मूल भाव पर पहुँचती जाती है यानी अपने शीर्षक ” शर्ट का तीसरा बटन ” पर ॥