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साल दर साल (Saal Dar Saal) परतंत्रता के बंधनों को काट कर स्वावलंबी होने की गाथा है। एक व्यक्ति की ही नहीं एक राष्ट्र की भी। छोटी छोटी घटनाओं से गुजरते हुए यह एहसाह नहीं होता कि कब एक व्यक्ति की आत्मकथा समूचे राष्ट्र की व्यथा कथा बन जाती है। साल दर साल (Saal Dar Saal) – डॉक्टर लक्ष्मणदत्त गौतम की आत्मकथा भर नहीं है। यह अपने युग का महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
स्वाधीनता संग्राम,सांप्रदायिकता,विभाजन,विस्थापन आदि हर मुद्दे पर लेखक की तीक्ष्ण दृष्टि रही है और यह दृष्टि चीजों को ऊपर – ऊपर से देखने की बजाय भारतीय राजनीति के हर छद्म को उजागर कर उसके नग्न यथार्थ को सामने लाती है।
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