
साहित्य विमर्श प्रकाशन
Original price was: ₹249.₹212Current price is: ₹212. (-15%)
In stock
₹249 Original price was: ₹249.₹212Current price is: ₹212. (-15%)
In stock
Bhor Uske Hisse Ki | भोर उसके हिस्से की – तीन स्त्रियों की यात्रा- एक नया आसमान छूने को… वर्जनाओं, मर्यादाओं को पहचानने को … उनसे जूझने को
Bhor Uske Hisse Ki | भोर उसके हिस्से की -जब तक जामवंत ने हनुमान को अहसास नहीं दिलाया था कि तुम समुद्र लाँघ सकते हो, तब तक उनका रावण की नगरी लंका तक जाना असम्भव था। इसी तरह कई बार हमारे मन के अवचेतन के जड़ों, बन्धनों, जंजीरों को तोड़ने के लिए एक बल की ज़रूरत होती है, जो होता तो हमारे अन्दर ही है पर उसे किसी बाहरी जामवंत की प्रेरणा चाहिए होती है।
तीस से छत्तीस वर्ष के वय की तीन नौकरी पेशा स्त्रियाँ हैं, जो अपना रूटीन जीवन जी रही हैं। वे काम के सिलसिले में एक दूसरे से मिलती हैं और गहरी दोस्त बन जाती हैं। व्यवसायों की पुरुष प्रधान दुनिया में वे पहले से ही खुद को अकेली महसूस करती रही थीं। अपने आस-पास के संसार, पुरुषों और समाज के अदृश्य बन्धनों से उनमें एक क्षोभ है। उनमें से ही एक स्त्री द्वारा, नितांत मजाक में विदेश का ओनली लेडीज ट्रिप प्रस्तावित किया जाता है। बात की बात में वे उस पर सहमत हो जाती हैं। इस यात्रा पर वे पहली बार स्वयं से मिलती हैं। अपनी क्षमताओं, सीमाओं और वर्जनाओं से उनकी मुलाकात होती है। यह यात्रा मिलाती है उन्हें उस स्वतंत्र महिला से जो अपने डर, शर्म, लाज, लिहाज, परिधान, उपेक्षा, परिहास से इतनी आगे निकल जाना चाहती है कि उसे यह सब दिखना ही बंद हो जाए।
Weight | 200 g |
---|---|
Dimensions | 20 × 16 × 2.2 cm |
VINAY KUMAR (verified owner) –
Shri Ran Vijay is an Excellent writer
Vinay Kumar
Education Officer
National Science Centre
Bhairon Marg, Near Gate No. 04
Pragati Maidan, New Delhi-110001
Hari Singh Kushwaha (verified owner) –
Rannvijay ji is the best writer of Hindi literature today. I have met him personally. It was because of this that my interest in Hindi literature got awakened. ordinary person of extraordinary talent.
Best of luck for ur golden future
Hitesh Rohilla (verified owner) –
Proud SVP production
Archana –
जब भी “Women’ s right” की बात आती है मुझे Virginia Woolf का नाम याद आता है। स्त्री के अंतर्मन का पूर्ण रूप से चित्रण करने में सबसे बड़ा योगदान स्वयं महिलाओं का ही रहा है पर कुछ पुरूष ऐसे भी रहें है जिन्होंने औरतों को समझने का दावा तो नहीं पर प्रयास भरपूर किया है। इन्हीं चन्द नामो में रणविजय जी का नाम भी उभर कर आता है जिन्होंने अपनी उपन्यास “भोर: उसके हिस्से की” में स्त्री की स्वाधीनता को अपना विषय बनाया है।
कहानी की शुरूवात तीन नौकरी पेशा स्त्रियाँ मंदालसा, पल्लवी और चांदनी से होती है जो बहुत जल्द ही पक्की सहेलियाँ बन जाती है। बॉस का गुस्सा, सिस्टम की कमी, देश की प्रगति आदि कई विषयों पर इनकी चर्चा चलती रहती हैं।
“Because I’ m your lady, you are my man, whenever you reach for me, All I can”
स्त्री का प्रेम से गहरा सम्बन्ध होता हैं और ईसी प्रेम के लिए कई बार वह अपने अस्तित्व तक को भुला देती है। पल्लवी अपने और राजीव के बिगड़ते रिस्तो से बिखर-सी रही थी। मंदा के लिए भी टोनेश की यादों का ज़ख़्म गहरा था जो शायद विक्रम के प्रेम से भर सकता था पर ऐसा हुआ नहीं। इन सबसे हट कर चंदू का इतिहास था। वह बचपन में बिलकुल अभागी थी। पिता की गालियों के अलावा कभी कुछ नहीं मिला था। उसकी बेबाकी और हिम्मत ने उसे संघर्षशील बनाया। परन्तु कोयले से हीरा बनने की इस प्रक्रिया ने उसकी कोमलता कम कर दी।
मज़े मज़े में विदेश यात्रा का बनाया गया “ओनली लेडीज़ ट्रिप” का प्लान इनके जीवन का टर्निंग पॉइंट सिद्ध हुआ। समाज की पाबंधियो को तोड़ इन्होंने स्वतंत्रता रूपी नदी में गोते लगाए। मन ऐसा बदला जैसे कभी कोई सीमाएँ थी ही नहीं।
“भोर: उसके हिस्से की” मेरी पांचवीं उपन्यास रही है। लेखक की लेखनी की सरलता कुछ इस प्रकार है कि पन्नो की बढ़ती गिनती से किताब के प्रति मेरा लगाव भी बढ़ता रहा। मंदा, पल्लवी और चंदू में मुझे अपनी झलक दिखी। उनका सफ़र निजी न हो कर अपितु हर उस स्त्री का सफ़र है जो रूढ़िवादी विचारों का बहिष्कार कर एक नए पथ पर चलने के लिए उन्मुक्त होती है। विक्रम और राजीव का चरित्र समाज के दोगलेपन को दिखाता हैं जो एक तरफ़ तो महिलाओं की तरक्क़ी को प्रोत्साहन देते हैं और दूसरी तरफ़ उन्हें अपने अंगूठे तले दबाने की कोशिश भी करते है। किताब में “रेल” एक सिंबल की तरह दर्शाया गया है। जिस प्रकार एक सुखद यात्रा के लिए पटरी का अवरोध मूक्त होना आवश्य है उसी प्रकार जीवन को सुखमय बनाने के लिए “लोग क्या कहेंगे” जैसे विचारों से मुक्त होना पड़ता है।
लेखक ने न केवल कहानी को जीवंत बनाया है, बल्कि गहरे सामाजिक मुद्दों को भी छुआ है। मुझे विशेष रूप से इसकी लेखन शैली और पात्रों की गहराई पसंद आई। हालांकि कुछ हिस्से थोड़े धीमे लगते हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह एक प्रभावशाली रचना है।