
साहित्य विमर्श प्रकाशन
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Chuppi (चुप्पी) – अधूरेपन में कसक होती है। अधूरेपन में वास्तविकता का प्रतिबिंब नज़र आता है। लेकिन ज़िंदगी की हर कमी के बारे में ये कथन सदा सत्य साबित नहीं होता। हमारे जीवन की कुछ कमियाँ हमारे व्यक्तित्व को स्वतंत्र आकार लेने ही नहीं देतीं। हम कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। हमारे मन में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है। तनाव और गहरे अवसाद की ओर हमारे क़दम बढ़ने लगते हैं। उस कमी को पूरा करने के लिए हम कोई भी हद पार करने को हमेशा तैयार रहते हैं। और जो पहले से हमारे पास है, उसको भी दांव पर लगाने से हम नहीं चूकते।
यही नहीं, जब कभी हमारा ये अधूरापन पूर्ण हो जाता है और हमें वो चीज़ मिल जाती है, जिसकी आस में हम अब तक जी रहे होते हैं, तब हम उस चीज़ के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील हो जाते है और उसे सदा पास रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
ऐसी ही परिस्थितियों में फँसे, दो किरदारों की कहानी है ‘चुप्पी’। एक टीवी नेटवर्क का सीईओ गौतम सिकंद और साइकोलॉजिस्ट तारा मिले तो थे, एक दूसरे के पूरक बनकर, मगर किस्मत को उनके लिए कुछ और ही मंज़ूर था। प्रेम, परवाह, त्याग और समर्पण, सबकुछ था, इन दोनों के रिश्ते में। फिर भी इन्हें एक दूसरे से दूर होना पड़ा। क्यों होना पड़ा, ये जानने के लिए आपको इसे पढ़ना होगा। उम्मीद है कि आपको मेरा ये दूसरा उपन्यास पसंद आएगा। इसको भी आपका उतना ही प्रेम मिलेगा, जितना मेरे पहले उपन्यास ‘जुहू चौपाटी’ को मिला था।
– साधना जैन
Moongate (मूनगेट) पूनम अहमद की चार उपन्यासिकाओ का संकलन है।
यहाँ स्त्रियाँ नैतिकता की सफेद स्याह गलियों को छोड़ धूसर क्षेत्रों में विचरण करती दिखती हैं।
मोही, वो झूठी, मूनगेट और अमोदिनी में आप ऐसी स्त्रियों से वाकिफ होंगे जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हर वह कदम उठाने के लिए तैयार हैं जिसकी जरूरत है। सही गलत की महीन रेखाओं पर वह अपनी डगर चलती हैं।
उनकी मंजिल क्या है और वह अपनी मंजिल पा पाती हैं या नहीं ये तो आप इन रचनाओं को पढ़कर ही जान पाएँगे
Weight | 400 g |
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Dimensions | 20 × 18 × 4 cm |
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