साहित्य विमर्श प्रकाशन
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Never go back – एक मुश्किल सफर के बाद पूर्व मिलिट्री कॉप जैक रीचर वर्जीनिया पहुँचता है । उसकी मंजिल थी 110वीं मिलिट्री पुलिस जो उसकी पुरानी यूनिट का हेडक्वार्टर था और उसे अपने घर से भी ज्यादा अज़ीज़ था।
रीचर के पास यहाँ वापस आने की कोई खास वजह नहीं थी सिवाय इसके कि उसे नयी कमांडिंग ऑफिसर, मेजर सुज़न टर्नर की आवाज़ फोन पर काफी अच्छी लगी थी।
लेकिन वह जब तक यहाँ पहुँचा सुज़न गायब हो चुकी थी । उसे किसी भारी गड़बड़ की आशंका होने लगी । आगे जो हुआ उसकी रीचर ने उम्मीद नहीं की थी ।
सोलह साल पहले हुई हत्या के आरोप के बावजूद उसे दोबारा आर्मी जॉइन करने का मौका मिल रहा था । क्या रीचर को वापस आने का पछतावा होगा या किसी और को रीचर के वापस आने का ?
प्रस्तुत उपन्यास पर ‘नेवर गो बैक’ नामक हॉलीवुड मूवी बन चुकी है जिसमें टॉम क्रूज ने जैक रीचर का किरदार निभाया था।
Chaal Pe Chaal-छः माह से खाली बैठे प्राइवेट डिटेक्टिव डेविड फेनर को जब उस खूबसूरत युवती के आने की खबर मिली तो उसे लगा था कि शायद अब उसे कोई केस मिलेगा। वह कहाँ जानता था कि वह औरत अपने साथ मुसीबतों और रहस्यों का ऐसा झंझावत लेकर आएगी कि उसका अपनी जान बचाना दूभर हो जाएगा। अब हर चाल पे उसे ऐसी चाल चलनी पड़ेगी जो उसे मौत से दूर और सच्चाई के करीब लेकर आएगा। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा था… वह हर चाल पर मौत के नजदीक और सच्चाई से दूर जाता जा रहा था… सुप्रसिद्ध क्राइम लेखक जेम्स हेडली चेइज़ के उपन्यास The Doll’s Bad News का विकास नैनवाल द्वारा किया उत्कृष्ट हिन्दी अनुवाद

जन्म- 24 अक्तूबर, 1894 ई., घोषपाड़ा-मुरतीपुर गाँव, अब नदिया जिला, प. बँगाल
देहावसान- 1 नवम्बर, 1950 ई., घाटशिला, अब झारखण्ड
जयदीप शेखर ने बीस वर्ष भारतीय वायु सेना में तथा दस वर्ष भारतीय स्टेट बैंक में सेवा की है। अभी वे ‘राजमहल की पहाड़ियों’ (सन्थाल-परगना, झारखण्ड) के आँचल में बसे कस्बे बरहरवा (जिला- साहेबगंज) में रहते हुए कुछ ऐसी बांग्ला रचनाओं को हिन्दी भाषी पाठकों के समक्ष लाने का कार्य कर रहे हैं, जो बांग्ला में तो लोकप्रिय हैं, मगर दुर्भाग्यवश, हिन्दी भाषी साहित्यरसिक इनसे अपरिचित हैं।
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