मध्यवर्गीय जीवन, मध्यवर्गीय अभिलाषाएँ और विश्वास – यही मेरा परिचय है। एक विकल्पहीन जीवन जीते हुए तिनके बटोरता गया तथा इनसे शिल्प रचने की उधेड़बुन में जुटा रहा फिर–फिर।
समाज सम्बन्धों से बनता है, लेकिन सम्बन्धों को गड्ड–मड्ड होते देखना जीवन की बड़ी उपलब्धि रही। दूसरी बात, शुरू से आकाश, समन्दर आदि आकर्षित करते रहे हैं। जो अछोर है, अथाह है, वह खींचता रहा। जीवन जैसे–जैसे बढ़ा, पाया कि जीवन भी भीतर से विस्तृत व अथाह है। कदाचित इन दो अनुभवों ने कथालेखन की ओर धकेला। इनमें कई कहानियों के केन्द्र में प्रेम है, जो समाज की कसौटी पर है। मौजूदा समय में प्रेम विश्वास का सहचर न होकर इच्छा का सहचर है और इच्छाओं से समस्याएँ जन्मती हैं, इसलिए कथानक के रंग, बिम्ब और स्वीकृतियाँ बदल रही हैं।
दो पुस्तकें ‘छायावादोत्तर आख्यान काव्य‘ तथा ‘समवाय‘ प्रकाशित। बीते तीन दशकों से विभिन्न विषयों पर बेतरतीब लेखन। विभिन्न पत्र–पत्रिकाओं में लेखादि प्रकाशित तथा आकाशवाणी रायपुर से अनेक बार प्रसारित। सम्प्रति छत्तीसगढ़ राज्य सचिवालय में अधिकारी। सम्मति/सम्वाद के लिए पता–ठिकाना है: 9424229194 तथा chiranjeevishukla@gmail.com