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रतन और उसके माता-पिता जब अपने नये बड़े घर में आये तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। शहर के छोटे घरों में रहते हुए वो बहुत परेशान हो चुके थे लेकिन जब उन्हें ये बड़ा घर बहुत सस्ते दामों में रहने के लिए मिल गया तो उन्होंने झट से यहाँ रहने के लिए हामी भर दी।
उन्होंने इस घर को लेकर कई सपने सँजोये थे जिसमें तब घड़ों पानी पड़ गया जब रतन की मम्मी शकुन को पड़ोसियों ने बताया कि उनके घर में भूत का वास है।
रतन ने कभी भूत देखा न था।
उसने भूत वाली बात सुनी तो उसे डर तो लगा लेकिन वह भूत देखने को आतुर भी हो गया?
क्या असल में घर में भूत था?
क्या रतन को भूत दिखा?
आखिर कौन था ये भूत?
क्या बन पाया वो रतन का भूत दोस्त?
ई मेल: grover.reeta@gmail.comप्रकाशित पुस्तकें:
‘नई सुबह’ (कहानी संग्रह), ‘मानो या न मानो’ (कहानी संग्रह), ‘लघु कथा उपवन’ (लघु‑कथा संग्रह), ‘भावांजली’ (काव्य संग्रह), ‘काव्य लहरें’ (कविता संग्रह ऑनलाइन), ‘कविताएँ और गीत’ (काव्य संग्रह ऑनलाइन), ‘बच्चे बोलें कविताएँ’ (बाल कविता संग्रह), ‘सब के साथ सब से अलग’ (साझा काव्य संग्रह), ‘सागर के मोती’ (साझा वर्ण पिरामिड संग्रह), ‘सहस्त्राधिक हाइकु’ ( ऑनलाइन), ‘केश- स्वास्थ्य और सौंदर्य’ (सौंदर्य पुस्तक), ‘मेकअप रूप और कला’ (सौंदर्य पुस्तक), ‘ब्यूटी टिप्स’ ( सौंदर्य पुस्तक), Names of Babas and Babies (Online), ‘व्यावसायिक समाज कार्य’ (इग्नू हैल्प बुक)
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित।
| Weight | 150 g |
|---|---|
| Dimensions | 20 × 15 × 2 cm |
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