jaydeepshekhar अनुवाद: जयदीप शेखर
साहित्य विमर्श प्रकाशन
Original price was: ₹225.₹199Current price is: ₹199. (-12%)
Bibhutibhushan Ki Parlaukik Kathayein | बिभूतिभूषण की पारलौकिक कथायें
बिभूतिभूषण की पारलौकिक कथायें खंड 1 में निम्न कहानियाँ संग्रहित हैं:
‘तारानाथ तांत्रिक की कहानी’, ‘विरजा होम में बाधा’, ‘काशी कविराज की कहानी’, ‘भूत बसेरा’, ‘भुतहा पलंग’, ‘अभिशप्त पुकार’, ‘रंकिणी देवी का खड्ग’, ‘पुरातत्व’, ‘बोमाईबुरु का जंगल’, ‘प्रतिमा-रहस्य’, ‘वह काली लड़की’, ‘गोरे सैनिक का मेडल’, ‘आकाश-परी’, ‘बहू-चण्डी का मैदान’, ‘मेघ-मल्हार’
उनके चारों तरफ बड़े मैदान में जिधर भी नजर जा रही थी, अनगिनत सफेद कंकाल खड़े थे— दूर में, पास में, दाहिनी ओर, बाँयी ओर। बहुत ही पुराने जमाने के जीर्ण कंकाल, बहुतों के हाथों की सारी उँगलियाँ नहीं थीं, बहुतों की हड्डियाँ धूप में जलकर चटक गयी थीं, किसी की खोपड़ी में छेद था, किसी के पैरों की हड्डी मुड़कर टेढ़ी-मेढ़ी हो रही थी। उनके चेहरे भी इधर-उधर थे। खड़े होने की उनकी भंगिमा से जान पड़ रहा था कि किसी ने बहुत सावधानी के साथ इन्हें खड़ा कर रखा है— जैसे ही वह इन्हें छोड़ेगा, हड्डियों के ये जीर्ण-शीर्ण, टेढ़े-मेढ़े, सीलनयुक्त ढाँचे भरभराकर गिरकर हड्डियों के स्तूप में बदल जाएँगे; जबकि वे सजीव भी जान पड़ रहे थे— सभी मानो मेरी पहरेदारी कर रहे थे कि मैं प्राणों के साथ इस श्मशान से न भाग सकूँ। अपने हाथों की हड्डियाँ बढ़ाकर सभी मानो मेरी गर्दन दबोचने की प्रतीक्षा में थे।
-संग्रह में मौजूद कथा ‘तारानाथ तांत्रिक की कहानी’ से
प्रसिद्ध बँगला लेखक बिभूतिभूषण बन्द्योपाध्याय की पंद्रह पारलौकिक कथाओं का संकलन, जिनमें मौजूद हैं शापित वस्तुएँ, भूतहा जगहें, भूत-प्रेत और इनसे जूझते कई किरदार

जन्म- 24 अक्तूबर, 1894 ई., घोषपाड़ा-मुरतीपुर गाँव, अब नदिया जिला, प. बँगाल
देहावसान- 1 नवम्बर, 1950 ई., घाटशिला, अब झारखण्ड
जयदीप शेखर ने बीस वर्ष भारतीय वायु सेना में तथा दस वर्ष भारतीय स्टेट बैंक में सेवा की है। अभी वे ‘राजमहल की पहाड़ियों’ (सन्थाल-परगना, झारखण्ड) के आँचल में बसे कस्बे बरहरवा (जिला- साहेबगंज) में रहते हुए कुछ ऐसी बांग्ला रचनाओं को हिन्दी भाषी पाठकों के समक्ष लाने का कार्य कर रहे हैं, जो बांग्ला में तो लोकप्रिय हैं, मगर दुर्भाग्यवश, हिन्दी भाषी साहित्यरसिक इनसे अपरिचित हैं।
Reviews
There are no reviews yet