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jaydeepshekhar अनुवाद: जयदीप शेखर

साहित्य विमर्श प्रकाशन

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Colored Booklet of SMP Photographs

Rare Photographs of Shri Surender Mohan Pathak with Family. 300 GSM 16 Colored Pages (Previously published in Pani Kera Budbuda, Now in separate booklet)

किताब के बारे में

Bibhutibhushan Ki Parlaukik Kathayein | बिभूतिभूषण की पारलौकिक कथायें

बिभूतिभूषण की पारलौकिक कथायें खंड 1 में निम्न कहानियाँ संग्रहित हैं:
‘तारानाथ तांत्रिक की कहानी’, ‘विरजा होम में बाधा’, ‘काशी कविराज की कहानी’, ‘भूत बसेरा’, ‘भुतहा पलंग’, ‘अभिशप्त पुकार’, ‘रंकिणी देवी का खड्ग’, ‘पुरातत्व’, ‘बोमाईबुरु का जंगल’, ‘प्रतिमा-रहस्य’, ‘वह काली लड़की’, ‘गोरे सैनिक का मेडल’, ‘आकाश-परी’, ‘बहू-चण्डी का मैदान’, ‘मेघ-मल्हार’

उनके चारों तरफ बड़े मैदान में जिधर भी नजर जा रही थी, अनगिनत सफेद कंकाल खड़े थे— दूर में, पास में, दाहिनी ओर, बाँयी ओर। बहुत ही पुराने जमाने के जीर्ण कंकाल, बहुतों के हाथों की सारी उँगलियाँ नहीं थीं, बहुतों की हड्डियाँ धूप में जलकर चटक गयी थीं, किसी की खोपड़ी में छेद था, किसी के पैरों की हड्डी मुड़कर टेढ़ी-मेढ़ी हो रही थी। उनके चेहरे भी इधर-उधर थे। खड़े होने की उनकी भंगिमा से जान पड़ रहा था कि किसी ने बहुत सावधानी के साथ इन्हें खड़ा कर रखा है— जैसे ही वह इन्हें छोड़ेगा, हड्डियों के ये जीर्ण-शीर्ण, टेढ़े-मेढ़े, सीलनयुक्त ढाँचे भरभराकर गिरकर हड्डियों के स्तूप में बदल जाएँगे; जबकि वे सजीव भी जान पड़ रहे थे— सभी मानो मेरी पहरेदारी कर रहे थे कि मैं प्राणों के साथ इस श्मशान से न भाग सकूँ। अपने हाथों की हड्डियाँ बढ़ाकर सभी मानो मेरी गर्दन दबोचने की प्रतीक्षा में थे।

-संग्रह में मौजूद कथा ‘तारानाथ तांत्रिक की कहानी’ से
प्रसिद्ध बँगला लेखक बिभूतिभूषण बन्द्योपाध्याय की पंद्रह पारलौकिक कथाओं का संकलन, जिनमें मौजूद हैं शापित वस्तुएँ, भूतहा जगहें, भूत-प्रेत और इनसे जूझते कई किरदार