अगर आप जिज्ञासा की मृगमरीचिका का पीछा कर नादानी के रेगिस्तान में भटक रहे बच्चों को, मानवीय दुर्बलता के तिलिस्म में फँसे लोगों को क़रीब से जानने के, उन्हें वापसी का पता देने के पक्षधर हैं तो यह कथा-संग्रह- इज़्ज़त लूटो कंपनी आपके लिये है।
पर यदि आप नैतिकता के आग्रही हैं तो मेरा यह कथा-संग्रह आपके लिए हरगिज़ नहीं हैं, क्योंकि इसमें निहित मेरी कहानियों से आप चोटिल हो सकते हैं, बहुत चोटिल!
भाषाई विन्यास और परिदृश्य के दृष्टिकोण से यदि मेरी इस किताब को देखा जाए तो मेरी किताब में निहित मेरी कहानियाँ आज की मॉडर्न हिंदी वाली ज़ुबान में आपका शहर के बोल्ड और बोहेमियन किरदारों से भी तार्रुफ़ करायेगी और आपको गाँव की कच्ची पगडंडियों से ले जाकर ठेठ गंवई किरदारों से भी मिलवाएगी। आप चाहे सुंदर सुभग तत्सममूल हिंदी के अनुरागी हों, चाहे तहज़ीबो-तमद्दुन से मालामाल उर्दू के मुरीद हों, या फिर अंग्रेज़ी की ड्योढ़ी पर खड़े होकर अंग्रेज़ीनुमा हिंदी का दामन पकड़ने वाले पाठक, आपको मेरी इस क़िताब में अपनी लज़्ज़त का बहुत कुछ मिलेगा।
Sunil (verified owner) –
कमाल की किताब, कमाल की कहानियां, मुंशी प्रेमचंद जी की याद आ गई 🙏