आज के समय में, पत्रकारिता में, प्रिंट के पत्रकारों से ज्यादा पूछ टीवी मीडिया के पत्रकारों की है. संतोष जी ने इस उपन्यास के जरिये टीवी मीडिया के एक ऐसे ही पत्रकार को पाठकों के सामने का लाने का सफल प्रयास किया है, जो कठिन से कठिन अपराध की गुत्थियों को पहले सुलझाता है फिर उसके संबंध में १५ दिन में एक बार टीवी के सामने आकर अपने दर्शकों को उस अपराध से सम्बंधित चीजों से रूबरू कराता है. संतोष पाठक जी ने इस किरदार का आरम्भ ही एंटरटेनमेंट या शो बिज़नस को कवर करते हुए, लिखा है जो निःसंदेह इस किरदार को भविष्य में स्थापित करने में सहायक होगा.
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Abhishek Singh Rajawat –
आज के पत्रकारिता के दौर को देखते हुए एक बढ़िया उपन्यास….
अभिनेत्री सोनाली सिंह राजपूत ने पाँच सालों बाद दिल्ली में कदम क्या रखा, जैसे हंगामा बरपा हो गया। बंगले में घुसते ही गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस और मीडिया दोनों को शक था कि सोनाली का कत्ल उसके चाचा उदय सिंह राजपूत ने किया है, क्योंकि पांच साल पहले उसने अपनी भतीजी को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी थी। लिहाजा कहानी परत-दर-परत उलझती जा रही थी। एक तरफ इंस्पेक्टर गरिमा देशपांडे कातिल की तलाश में जी जान से जुटी हुई थी, तो वहीं दूसरी तरफ भारत न्यूज की इंवेस्टिगेशन टीम पुलिस से पहले हत्यारे का पता लगाने के लिए दृढसंकल्प थी। जबकि कातिल था कि एक के बाद एक लाशें बिछाता जा रहा था।
पनौती –
आज के समय में, पत्रकारिता में, प्रिंट के पत्रकारों से ज्यादा पूछ टीवी मीडिया के पत्रकारों की है. संतोष जी ने इस उपन्यास के जरिये टीवी मीडिया के एक ऐसे ही पत्रकार को पाठकों के सामने का लाने का सफल प्रयास किया है, जो कठिन से कठिन अपराध की गुत्थियों को पहले सुलझाता है फिर उसके संबंध में १५ दिन में एक बार टीवी के सामने आकर अपने दर्शकों को उस अपराध से सम्बंधित चीजों से रूबरू कराता है. संतोष पाठक जी ने इस किरदार का आरम्भ ही एंटरटेनमेंट या शो बिज़नस को कवर करते हुए, लिखा है जो निःसंदेह इस किरदार को भविष्य में स्थापित करने में सहायक होगा.
Abhishek Singh Rajawat –
आज के पत्रकारिता के दौर को देखते हुए एक बढ़िया उपन्यास….