महत्वाकांक्षा जब एक सीमा से आगे बढ़ जाती है, तो वो एक जिद, एक जुनून का रूप ले लेती है। ऐसी ही एक महत्वाकांक्षा की कहानी है-ईसा से 500 वर्ष पूर्व एक तांत्रिक तुफैल और उसकी शिष्या कूटनी माया की, जिन्होंने ईश्वरीय सृष्टि के समांतर एक सृष्टि निर्मित करने की महत्वाकांक्षा पाल ली थी। उनकी इस महत्वाकांक्षा में जाने अंजाने ही सहायक बन गई भोली भाली गंधर्व कन्या यामी। यामी-जो अपने प्रेम की तलाश में गंधर्व लोक से पृथ्वी पर आई थी। विधि के विधान ने माया, तुफैल और यामी को समय से 2500 साल आगे सन 2022 में ला फेंका। सन 2022 – जहाँ चाहे अनचाहे दो अन्य व्यक्ति भी माया, तुफैल और यामी के इस द्वंद का मोहरा बन गए -एक युवा आई०पी०एस० और दूसरे इस किताब के लेखक आलोक सिंह खुद। फिर क्या हुआ 2022 में ? कौन जीता ये जंग ? माया या यामी ? क्या यामी अपनी मोहब्बत की तलाश कर पाई ? तुफैल और माया समांतर सृष्टि की स्थापना के अपने उद्देश्य में कहाँ तक सफल हुए ? ऐसे ही अनेक प्रश्नों का उत्तर है यामी।
आलोक सिंह खालौरी मूलतः बुलंदशहर के ग्राम खालौर के निवासी हैं। वह पेशे से वकील हैं। उनके पिताजी के न्यायिक अधिकारी होने के चलते उनका बचपन अलग-अलग शहरों में बीता था। उरई से शुरू होकर रुड़की,सीतापुर, गोरखपुर, गोंडा, आगरा, बदायूं और मेरठ में उनकी शिक्षा दीक्षा सम्पन्न हुई। मेरठ में ही उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी कर प्रेक्टिस शरू कर दी थी। उनका पहला उपन्यास राजमुनि था जो कि परलौकिक रोमांचकथा थी।
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