लेखिका दिव्या शर्मा की रचनाओं को करीब 4 वर्षो से काफी नजदीक से देखता रहा हूँ। प्रगतिशीलता है, भविष्य को देखने की क्षमता है। कथ्य में पर्याप्त विविधता है। उन विषयों पर भी कलम चलाने से गुरेज नहीं किया है जिस पर अधिकतर लेखक कन्नी काट लेते हैं।
पहली कृति हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
Rated 5 out of 5
shobhit2607 –
I am reading Divya Sharma’s stories for quite sometime now and eagerly waiting for this gem
Rated 5 out of 5
Umesh kumar gupta –
बेहद संजीदगी से लिखती है यथार्थ की कसौटी पर, दिव्या जी को पढ़ना सामाजिक यथार्थ सर रूबरू होना हैं।
Rated 5 out of 5
Namrata Dwivedi –
सरप्रथम दिव्या जी को बहुत बहुत बधाई , आप की लेखन की मैं सदैव ही प्रशंसक रही हूं , मैं भीआप की तरह बनना चाहती हूं।
Rated 4 out of 5
सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ –
इस करीब दो सौ पेजेस की जिल्द में कोई 88 कहानियाँ हैं। सुनने में ज़्यादा लगती हैं पर ये कहानियाँ नहीं, किस्से हैं, छोटे-छोटे किस्सों में बड़ी बड़ी बातें हैं।
Rated 5 out of 5
Hitesh Rohilla –
A must have story book…..touches your heart and soul.
Rated 5 out of 5
krishna kumar maurya –
दीदी हमेशा यथार्थ लिखती है। आप एक एक कथाओं को पढ़ते समय अपने अंदर एक अलग परिवर्तन महसूस करेंगे।
Rated 5 out of 5
Girish Kumar –
बहुत सुंदर कहानियां
जीवन के हर पहलू से जुड़ी कहानियां
Rated 5 out of 5
Ayushi –
Heart touching stories.
Rated 5 out of 5
Abhishek Singh Rajawat –
जैसे 90s के दौरान एक सिरियल के हर एपिसोड के अंत में नायक एक लाइन कहता है, ‘ छोटी-छोटी मगर मोटी बातें ‘ वैसे ही इस कहानी संग्रह की हर कहानी में एक सीख छुपी हुयी है|
Rated 5 out of 5
Anagha Joglekar –
समसामयिक, बेहतरीन लघुकथाएं।
सुई जैसी नुकीली पर मारक तलवार जैसी।
लेखिका को हार्दिक बधाई।
Bahut Door Kitna Door Hota Hai | बहुत दूर कितना दूर होता है – एक संवाद लगातार बना रहता है अकेली यात्राओं में। मैंने हमेशा उन संवादों के पहले का या बाद का लिखा था… आज तक। ठीक उन संवादों को दर्ज करना हमेशा रह जाता था। इस बार जब यूरोप की लंबी यात्रा पर था तो सोचा, वो सारा कुछ दर्ज करूँगा जो असल में एक यात्री अपनी यात्रा में जीता है। जानकारी जैसा कुछ भी नहीं… कुछ अनुभव जैसा.. पर ठीक अनुभव भी नहीं। अपनी यात्रा पर बने रहने की एक काल्पनिक दुनिया। मानो आप पानी पर बने अपने प्रतिबिंब को देखकर ख़ुद के बारे में लिख रहे हों। वो ठीक मैं नहीं हूँ… उस प्रतिबिंब में पानी का बदलना, उसका खारा-मीठा होना, रंग, हवा, सघन, तरल, ख़ालीपन सब कुछ शामिल हैं। इस यात्रा-वृत्तांत को लिखने के बाद पता चला कि असल में मैं इस पूरी यात्रा में एक पहेली की तलाश में था… जिसका जवाब यह किताब है। —मानव कौल
मृणाल आशुतोष –
लेखिका दिव्या शर्मा की रचनाओं को करीब 4 वर्षो से काफी नजदीक से देखता रहा हूँ। प्रगतिशीलता है, भविष्य को देखने की क्षमता है। कथ्य में पर्याप्त विविधता है। उन विषयों पर भी कलम चलाने से गुरेज नहीं किया है जिस पर अधिकतर लेखक कन्नी काट लेते हैं।
पहली कृति हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
shobhit2607 –
I am reading Divya Sharma’s stories for quite sometime now and eagerly waiting for this gem
Umesh kumar gupta –
बेहद संजीदगी से लिखती है यथार्थ की कसौटी पर, दिव्या जी को पढ़ना सामाजिक यथार्थ सर रूबरू होना हैं।
Namrata Dwivedi –
सरप्रथम दिव्या जी को बहुत बहुत बधाई , आप की लेखन की मैं सदैव ही प्रशंसक रही हूं , मैं भीआप की तरह बनना चाहती हूं।
सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ –
इस करीब दो सौ पेजेस की जिल्द में कोई 88 कहानियाँ हैं। सुनने में ज़्यादा लगती हैं पर ये कहानियाँ नहीं, किस्से हैं, छोटे-छोटे किस्सों में बड़ी बड़ी बातें हैं।
Hitesh Rohilla –
A must have story book…..touches your heart and soul.
krishna kumar maurya –
दीदी हमेशा यथार्थ लिखती है। आप एक एक कथाओं को पढ़ते समय अपने अंदर एक अलग परिवर्तन महसूस करेंगे।
Girish Kumar –
बहुत सुंदर कहानियां
जीवन के हर पहलू से जुड़ी कहानियां
Ayushi –
Heart touching stories.
Abhishek Singh Rajawat –
जैसे 90s के दौरान एक सिरियल के हर एपिसोड के अंत में नायक एक लाइन कहता है, ‘ छोटी-छोटी मगर मोटी बातें ‘ वैसे ही इस कहानी संग्रह की हर कहानी में एक सीख छुपी हुयी है|
Anagha Joglekar –
समसामयिक, बेहतरीन लघुकथाएं।
सुई जैसी नुकीली पर मारक तलवार जैसी।
लेखिका को हार्दिक बधाई।
Hitesh Rohilla –
One short story with a quick snack