पेंगुइन बुक्स
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हिंदी पल्प की दुनिया का एक ऐसा अध्ययन जिसमें अंतरराष्ट्रीय प्रेरणाओं और भारतीय भाषाओं के लोकप्रिय साहित्य का सही तरीके से लेखा-जोखा किया गया है। इसमें बातचीत, बैठकें, कहानियाँ, शोध और विश्लेषण शामिल हैं। बेगमपुल एक ऐसी जगह है जहाँ कई पल्प लेखक तब घूमते रहते थे जब मेरठ हिंदी पल्प का बाज़ार हुआ करता था। दिल्ली के दरीबा और खारी बावली से पहले मेरठ के शास्त्री नगर-ईश्वर नगर, वाराणसी और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) का बोलबाला था। स्कूली किताबों में छिपकर इसे पढ़ने के लिए पागल पाठकों के लिए यह जादू कैसे पैदा हुआ? “बेगम पुल से दरियागंज―देसी पल्प की दिलचस्प दास्तान” हिंदी पल्प साहित्य के समृद्ध ताने-बाने की एक दिलचस्प खोज पेश करती है, इसकी जड़ों, विकास और इसे आकार देने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों की खोज करती है। यह उन चहल-पहल भरी सड़कों, जीवंत कवर और आकर्षक कहानियों के प्रति श्रद्धांजलि है, जिन्होंने लाखों लोगों को आकर्षित किया।
यशवंत व्यास प्रख्यात लेखक, पत्रकार, स्तंभकार और मीडिया सलाहकार हैं। प्रिंट तथा संबंधित मीडिया में चालीस से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले व्यास अपने प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण और विशिष्ट लेखन शैली के लिए जाने जाते हैं।
उन्होंने तीन राष्ट्रीय समाचार पत्रों के संपादकीय कार्यों का नेतृत्व किया और 90 के दशक में एक बहुभाषी पोर्टल समूह का संचालन भी किया। न्यूरॉन्स जैसी पहल के माध्यम से उन्होंने क्षेत्रीय पत्रकारों के प्रशिक्षण में भी अहम भूमिका निभाई।
पत्रकारिता में योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय पत्रकारिता फेलोशिप, राष्ट्रीय शरद जोशी पुरस्कार तथा साहित्य में उनके उपन्यासों चिंता घर (म.प्र. साहित्य परिषद्) और कामरेड गोडसे (के.के. बिड़ला फाउंडेशन बिहारी पुरस्कार) के लिए सम्मानित किया गया।
उनकी चर्चित पुस्तकों में शामिल हैं – अमिताभ का ‘ए’ (अमिताभ बच्चन का ब्रांड विश्लेषण), हिट उपदेश, बॉस्कियाना (गुलज़ार से संवाद), अब तक 56, यारी-दुश्मनी, कवि की मनोहर कहानियाँ और मोहब्बत की दुकान।
उन्होंने हिंदी-गुजराती की पहली न्यू एज मासिक पत्रिका – आहा! ज़िंदगी का सफल शुभारंभ किया, जिसने आरंभिक छह महीनों में ही 5.6 लाख से अधिक पाठक जुटाए। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय पाठकों के लिए उन्होंने स्वास्थ्य पत्रिका आयुर्वेद सूत्र का प्रकाशन किया।
वे अंतरा इन्फ़ोमीडिया के सह-संस्थापक हैं और वर्तमान में अमर उजाला समूह के सलाहकार के रूप में संपादकीय तथा नवाचार परियोजनाओं से जुड़े हैं। डिजिटल और समकालीन मीडिया में उनकी गहरी रुचि है और वे कई प्रयोगात्मक परियोजनाओं पर कार्यरत हैं।
Weight | 200 g |
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Dimensions | 22 × 17 × 2 cm |
फॉर्मैट | पेपरबैक |
भाषा | हिंदी |
Number of Pages | 232 |
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