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Biwi Ka Hatyara | बीवी का हत्यारा- कहा जाता है कि आस्था प्रमाणों पर आधारित विश्वास नहीं अपितु अबाध समर्पण का नाम ही आस्था है । लेकिन रवि कुमार, पेशे से पुलिस इन्स्पेक्टर, जिसे कि सबूतों को जांचने, हर बात पर शक करने की ट्रेनिंग हासिल थी, ऐसी अबाध समर्पण की भावना कहां से लाता!
पुलिस इंस्पेक्टर रवि शर्मा अपनी ट्रेनिंग से सबक लेता है, भरोसा न करने का; और उसका यह सबक ही उस पर भारी पड़ जाता है। और वह मर्डर जैसे संगीन जुर्म की थाह पाते-पाते अपने सोचे ऐसे जाल में फँसता है कि ख़ुद पहुँच गया फाँसी के तख्ते तक! क्यों और कैसे जानने के लिए पढ़ें, बीवी का हत्यारा (Biwi Ka Hatyara)।
सुरेन्द्र मोहन पाठक का जन्म 19 फरवरी, 1940 को पंजाब के खेमकरण में हुआ था। विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने के बाद उन्होंने भारतीय दूरभाष उद्योग में नौकरी कर ली। युवावस्था तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लेखकों को पढ़ने के साथ उन्होंने मारियो पूजो और जेम्स हेडली चेज़ के उपन्यासों का अनुवाद शुरू किया। इसके बाद मौलिक लेखन करने लगे। सन 1959 में, आपकी अपनी कृति, प्रथम कहानी “57 साल पुराना आदमी” मनोहर कहानियां नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। आपका पहला उपन्यास “पुराने गुनाह नए गुनाहगार”, सन 1963 में “नीलम जासूस” नामक पत्रिका में छपा था। सुरेन्द्र मोहन पाठक के प्रसिद्ध उपन्यास असफल अभियान और खाली वार थे, जिन्होंने पाठक जी को प्रसिद्धि के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचा दिया। इसके पश्चात उन्होंने अभी तक पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनका पैंसठ लाख की डकैती नामक उपन्यास अंग्रेज़ी में भी छपा और उसकी लाखों प्रतियाँ बिकने की ख़बर चर्चा में रही। उनकी अब तक 313 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनका नवीनतम उपन्यास जीत सिंह सीरीज का ‘दुबई गैंग’ है। उनसे smpmysterywriter@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है। पत्राचार के लिये उनका पता है : पोस्ट बॉक्स नम्बर 9426, दिल्ली – 110051.
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