Skip to content

199

(0 customer reviews)
Secure Payment
Estimated Dispatch: Jul 19, 2025 – Jul 22, 2025
If you order taday

In stock

किताब के बारे में

भारत और पाकिस्तान के बीच 1950 में हुए लिआकत-नेहरु समझौते से उसका जीवन हमेशा के लिए बदल जाएगा, इसका अंदाज़ा तक बीबी अमृत कौर को न था; पर इन सबसे उसके किरदार को जो मज़बूती मिली उसका तसव्वुर भी उसने कहाँ किया था! बीबी अमृत कौर की ज़िंदगी 1947 के दंगों में दो टुकड़ों में बँट गई। वह नई जगह, अनजाने लोगों के बीच एक नई पहचान के साथ जीना शुरू करती है। उसकी शादी होती है और वह दो बच्चों की माँ बनती है। वह इस नई ज़िंदगी को गरिमा के साथ अपनाती है। पर किस्मत ने उसके लिए कुछ और तय कर रखा था जिसने उसे तोड़ दिया। फिर से। इस बार का दर्द बर्दाश्त के बाहर था। फिर भी यह उम्मीद बीबी को ज़िंदा रखती है कि एक दिन वह अपने बच्चों से मिल पाएगी और उसकी दुनिया पूरी हो जाएगी। बीबी अपने वक्त को दु:ख से बोझिल नहीं होने देती, बल्कि आप ही उम्मीद और हौसले का दिया बन जाती है। हरिन्दर सिक्का (Harindar Sikka) की विछोड़ा (Vichhoda) है – एक औरत के मनोबल, त्याग और सहनशक्ति की अनकही कहानी।