आज के समय में ‘ पुरुष अधिकार ‘ एक हास्य का विषय माना जाता है, अभी भी इस दिशा में कोई ठोस कदम तथा जागरूकता का अभाव है, ऐसे में एक महिला होते हुए भी ज्योति जी ने इस अधिकार को आन्दोलन के रूप में आगे बढ़ाया, लगभग 2012 में हुई एक घटना ने आपको इस दिशा में आवाज उठाने कि प्रेरणा दी, सोशल मीडिया के माध्यम से तो सुनता ही रहता था, इस किताब के जरिये इस आपके विचारों को और करीब से समझ पाने का मौका मिला है
kahaniyon-ke-dastkhat कहानियों के दस्तखत – कुछ जगबीती, कुछ आपबीती और कुछ कपोल कल्पनाओं का समुच्चय है, जिन्हें कहानियों की शक्ल में रचा गया है। यह रोचक कहानियाँ हिंदी साहित्य के पन्नों पर सशक्त दस्तख़त हैं। सहज, सुघड़ शैली और निरंजनी भाषा से सजी इन 17 कहानियों का मिजाज एक दूसरे से अलहदा है। इनमें प्रेम और घृणा की पराकाष्ठा है, नीयत और नियति का असमंजस है, नैतिकता और अनैतिकता का डोलता तराज़ू भी है
Abhishek Singh Rajawat –
आज के समय में ‘ पुरुष अधिकार ‘ एक हास्य का विषय माना जाता है, अभी भी इस दिशा में कोई ठोस कदम तथा जागरूकता का अभाव है, ऐसे में एक महिला होते हुए भी ज्योति जी ने इस अधिकार को आन्दोलन के रूप में आगे बढ़ाया, लगभग 2012 में हुई एक घटना ने आपको इस दिशा में आवाज उठाने कि प्रेरणा दी, सोशल मीडिया के माध्यम से तो सुनता ही रहता था, इस किताब के जरिये इस आपके विचारों को और करीब से समझ पाने का मौका मिला है