कामरान हुसैन अव्वल दर्जे का मुसव्विर था लेकिन उसके हुनर पर एक बदनुमा दाग ये था कि कभी-कभी उसके बनाए हुए चित्र किसी की मौत का फरमान बन जाते थे। जिन बदकिस्मत लोगों की शक्लें उसके कैनवास पर नुमाया होती थीं, उनके साथ अगले ही रोज़ से अजीबोगरीब वाकयात होने लगते थे। उन्हें न समझ आने वाली आवाजें सुनाई देने लगती थीं और अंत में एक काला साया उन्हें लेकर किसी रहस्यमयी महल में चला जाता था।
चंद्र प्रकाश पांडेय ने हिंदी हॉरर साहित्य में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। हिंदी के हॉरर में प्रचलित थीम से हटकर वह नवीन विषयों को लेकर प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। मौत के बाद, महल, आवाज उनकी कुछ प्रचलित रचनाएँ हैं।
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