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अर्जुन राणा जो पूजा मलिक के प्यार में आकंठ डूबा हुआ था गलती से अपनी बीती जिंदगी की किताब का वह पन्ना खोल बैठा जिस पन्ने की इबारत पर गुज़िश्ता सालो की बेरुखी ने धूल की मोटी परत बिछा दी थी। वह इबारत जो कभी उसकी जिंदगी हुआ करती थी , वह इबारत जिसे उसने बेवफाई की स्याही से लिखा मान कर भुला दिया था ……पर भुलाना इतना आसान कहां होता है। क्या हुआ जब एक सामान्य हत्या के केस ने अर्जुन को अपनी जिंदगी की किताब के इस बिसराए पन्ने को खोलकर पढ़ने पर मजबूर कर दिया । हकीकत से बावस्ता होते ही अर्जुन ने खुद को एक ऐसे दोराहे पर खड़े पाया जिसके दोनो रास्तों पर उसकी जिंदगी थी और फैसला मुश्किल था कि किधर जाएं। एक तरफ कत्ल दर कत्ल के इल्जामों में फंसती जा रही वो लड़की जिसका मददगार इस दुनिया में अर्जुन के सिवा और कोई था ही नहीं और दूसरी तरफ थी पूजा । किंतु किसी एक तरफ तो जाना ही था क्योंकि प्रेम गली अति सांकरी ता मे दो ना समाए ।
आलोक सिंह खालौरी मूलतः बुलंदशहर के ग्राम खालौर के निवासी हैं। वह पेशे से वकील हैं। उनके पिताजी के न्यायिक अधिकारी होने के चलते उनका बचपन अलग-अलग शहरों में बीता था। उरई से शुरू होकर रुड़की,सीतापुर, गोरखपुर, गोंडा, आगरा, बदायूं और मेरठ में उनकी शिक्षा दीक्षा सम्पन्न हुई। मेरठ में ही उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी कर प्रेक्टिस शरू कर दी थी। उनका पहला उपन्यास राजमुनि था जो कि परलौकिक रोमांचकथा थी।
Weight | 200 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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