Be the first to review “Prem Ka Prameya” Cancel reply
लिखना मेरे लिए खुद को जानने की एक कोशिश भर है, लिखते लिखते खुद को जान पाऊँ तो शायद लिखना सफल हो तब तक ये यात्रा यूँ ही चलती रहेगी। पहली किताब हर लेखक के लिए बहुत खास होती है, मेरे लिए भी ये किताब उतनी ही खास है बस यूँ समझिये जितने संवाद मैंने मौन में किये हैं वो सब आप लोगों को सौंप रहा हूँ। प्रेम के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा गया है उम्मीद करता हूँ मेरे लिखे में भी आपको प्रेम की एक झलक दिखेगी और शायद आपको अपना जिया हुआ प्रेम स्मरण हो आये। शायद आप अपने “प्रेम का प्रमेय” सिद्ध कर पाएं इस किताब को पढ़ते हुए |
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