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SHATHE SHATHYAM SAMACHARET | शठे शाठयम समाचरेत्
दुश्मन वापस आया था। और इस बार पूरी तैयारी और पहले से भी कहीं ज्यादा घातक होकर आया था। इस बार उसने ऐसा जाल बुना था, जिसके सफल होने का सीधा अर्थ था, भारतवर्ष के शरीर से कश्मीर एवं पंजाब रुपी दो भुजाओं का अलग हो जाना। साजिश के ताने-बाने इस कदर बुने गए थे कि कश्मीर में शुरू हुआ उन्नीस सौ सैंतालीस के बाद का पाकिस्तान का सबसे बड़ा षड़यंत्र। जिससे निपटने की जिम्मेदारी एक बार फिर रॉ के हाथों में थी, जिसमें असफल होने की कोई गुंजाइश नहीं थी और समय रहते उन्हें इस ऑपरेशन को कामयाब करके दिखाना था।
आलोक सिंह खालौरी मूलतः बुलंदशहर के ग्राम खालौर के निवासी हैं। वह पेशे से वकील हैं। उनके पिताजी के न्यायिक अधिकारी होने के चलते उनका बचपन अलग-अलग शहरों में बीता था। उरई से शुरू होकर रुड़की,सीतापुर, गोरखपुर, गोंडा, आगरा, बदायूं और मेरठ में उनकी शिक्षा दीक्षा सम्पन्न हुई। मेरठ में ही उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी कर प्रेक्टिस शरू कर दी थी। उनका पहला उपन्यास राजमुनि था जो कि परलौकिक रोमांचकथा थी।
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